ये बहता हुआ पसीना भी कहेगा वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा। ये बहता हुआ पसीना भी कहेगा वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा।
इस चुप्पी पर रज़ामंदी क्यों ? हर बार शर्मिंदा हिंदी क्यों ? इस चुप्पी पर रज़ामंदी क्यों ? हर बार शर्मिंदा हिंदी क्यों ?
लड्डू लड्डू
हां,वह मेरी कविता है कभी मौत की गाथा सुनाती कभी वीभत्स नजारे दिखाती। हां,वह मेरी कविता है कभी मौत की गाथा सुनाती कभी वीभत्स नजारे दिखाती।
खुद को जब खंगाला मैंने, क्या बोलूँ क्या पाया मैंने? खुद को जब खंगाला मैंने, क्या बोलूँ क्या पाया मैंने?
जिंदगी की कशमकश में हम तेरा हर वक्त इंतजार करते रहे। जिंदगी की कशमकश में हम तेरा हर वक्त इंतजार करते रहे।